तेरे सम्मुख झुक न सकूं जो, इतना मुझमें दर्प नहीं है। तेरे सम्मुख झुक न सकूं जो, इतना मुझमें दर्प नहीं है।
पाया कौन तुम्हारा पार पाया कौन तुम्हारा पार
अपने प्राण तुम्हारे सुपुर्द कर बैठी ओ मेरे शिव, मैं सच में तुमसे प्यार कर बैठी अपने प्राण तुम्हारे सुपुर्द कर बैठी ओ मेरे शिव, मैं सच में तुमसे प्यार कर बैठ...
पता नहीं वह प्यार में धोखा था या धोखे में प्यार। पता नहीं वह प्यार में धोखा था या धोखे में प्यार।
पर तुझे भूले नहीं है हम मत आना मेरे सामने,तेरी खैर नहीं। पर तुझे भूले नहीं है हम मत आना मेरे सामने,तेरी खैर नहीं।
अपने अस्तित्व को क्यों इस तरह मिटा डाला है मैंने, जमाने के हिसाब से क्यों खुद को नही अपने अस्तित्व को क्यों इस तरह मिटा डाला है मैंने, जमाने के हिसाब से क्यों ...